मित्रता - अनुच्छेद pt1

 मित्रता अनमोल धन है। इसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। सच्चा मित्र सुख और दुख में समान भाव से मित्रता निभाता है। जो केवल सुख में साथ होता है, उसे सच्चा मित्र नहीं कहा जा सकता। मित्रता करना तो आसान है, लेकिन निभाना बहुत ही मुश्किल। मित्र जो जो वक्त पड़ने पर बहाना बनाकर किनारे हो जाते हैं. वे मित्रता को कलंकित करते हैं। मित्रता जीवन का सर्वश्रेष्ठ अनुभव है।यह एक ऐसा मोती है, जिसे गहरे सागर में डूबकर ही पाया जा सकता है। मित्रता की कीमत केवल एक सच्चा मित्र ही समझ सकता है। सच्ची मित्रता जीवन का वरदान है। यह आसानी से नहीं मिलती। एक सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य की बात होती है। सच्चा मित्र मनुष्य की सोई किस्मत को जगा सकता है और भटके को सही राह दिखा सकता है।

 

हमारे बापू (अनुच्छेद ) PT 1

  हमारे बापू (अनुच्छेद )

महात्मा गाँधी को हम सब 'बापू' के नाम से पुकारते हैं। वह हमारे राष्ट्रपिता हैं। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था । इनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ। इनके पिता श्री करमचंद राजकोट के दीवान थे। इनकी माता पुतलीबाई धार्मिक विचारों की महिला थीं। तेरह वर्ष की आयु में इनका विवाह कस्तूरबा से हुआ। इन्होंने इंगलैंड से वकालत की शिक्षा पाई। देश की आज़ादी के लिए उन्होंने आंदोलन किया। बापू ने सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना। उनका 'भारत छोड़ो' आंदोलन सफल रहा और देश आज़ाद हुआ। 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोड्से ने बापू की हत्या कर दी। उनके सत्य और अहिंसा के मार्ग का  सम्मान सारा संसार आज भी करता है। 

मित्रता - अनुच्छेद pt1

  मित्रता अनमोल धन है। इसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है। सच्चा मित्र सुख और दुख में समान भाव से मित्रता निभाता है। जो केवल सुख में स...